ओमान देश के लोगों केलिए पैगंबर का संदेश।

अपने संदेशवाहक "अ़म्र बिन अल-अस अल-सहम" और "अबू ज़ैद अल-अंसारी" के मध्यस्थ से पैगंबर मुहम्मद की जानिब से जुलन्दा भाइयों केलिए भेजा गया संदेश यहाँ है।

"सही रास्ते पर जो है उस पर शांति हो! मैं तुम को इस्लाम में आने का बुलावा देता हूँ मेरे इस बुलावे को मंज़ूर करो, तब तुम सकुशल रहोगे मैं मानव जाति केलिए अल्लाह का  पैगंबर हूँ, और बदमाशों पर उस के कलाम का असर ज़रूर दिखाया जायेगा इसलिए, अगर तुम इस्लाम को स्वीकारते हो, मैं तुम पर शक्ति प्रदान करूंगा लेकिन अगर तुम इस्लाम को नहीं स्वीकारते हो, अपनी शक्ति गायब हो जाएगी, तुम्हारे क्षेत्र के विस्तार सतह पर अपने घोड़े शिविर बनायेंगे, और मेरी भविष्यवाणी अपने राज्य में प्रबल होगी"

[अरबी मूल का तस्वीर (आमाप 27K या 772K) और अंग्रेजी अनुवाद (31K) जो सोहर फोर्ट, ओमान सल्तनत में प्रदर्शन पर है।]

इतिहासकार अल-बलाधुरी, संदेशवाहक के सोहर में आने के बमुश्किल ढाई सदियों के बाद लिखते हुये, इन शब्दों में उस घटना का वर्णन करते हैं:

"जब ओमान के लोग सच्चाई के सबूत पर प्रतिक्रिया करेंगे और अल्लाह और उस के पैगंबर के आज्ञापालन करने लगेंगे, तो अम्र, उनके आमिर, और अबू ज़यिद

प्रार्थना के संचालन केलिए, और लोगों तक इस्लाम पहुँचाने केलिए, और उन्हें कुरान का अध्यापन तथा धर्म के उपदेशों केलिए जिम्मेदार बनाये जायेंगे।"

अक्सर मुसलमानों का दावा है कि इस्लाम धर्म में कोई बलजोरी या ज़बरदस्ती नहीं है। तो अब स्वयं अपने पैगंबर का सुन्ना इस बात के विपरीत में नहीं है? एक झूठ को छुपाने केलिये कितने झूठ और बोलने पड़ेंगे? हम बाइबल में यूहन्ना की इंजील में पढ़ते हैं कि "परमेश्वर सच्चा है (यूहन्ना 3:33)"। अगर आप की राय भी यही है कि आप का भी परमेश्वर सच्चा है तो सच को क़ुबूल करो कि इस्लाम ज़बरदस्ती से ही फैला है और आज भी भयहेतु से ही बढ़ रहा है।

इस का मूल रचना अंग्रेज़ी में पढ़िए - THE MESSAGE OF THE PROPHET TO THE OMANI PEOPLE


मुहम्मद

आन्सरिंग इस्लाम