किस किताब के अनुसार?

परमेश्वर का नाम क्या है? आप किस किताब की पैरवी करते हैं?

भाई. हरि

अगर आप एक मसीही विश्वासि से सवाल करेंगे और पूछेंगे कि ‘तुम जिस परमेश्वर को मानते हो, उसका नाम क्या है’? तो वह तुरंत उसका जवाब देगा और कहेगा कि – ‘हमारे किताब-ए-मुक़द्दस (पवित्र पुस्तक बाइबल को हिन्दुस्तानी ज़ुबान में ऐसा ही कहते हैं) में ऐसा लिखा हुवा है’ -

‘‘परमेश्वर ने मूसा से यह भी कहा, ‘तू इस्राएलियों से यह कहना, ‘तुम्हारे पितरों का परमेश्वर, अर्यात्‌ अब्राहम का परमेश्वर, इसहाक का परमेश्वर और याक़ूब का परमेश्वर, यहोवा उसी ने मुझ को तुम्हारे पास भेजा है। देख सदा तक मेरा नाम यही रहेगा, और पीढ़ी पीढ़ी में मेरा स्मरण इसी से हुआ करेगा’।’ ’’ (निर्गमन 3:15)

और उस मसीही विश्वासि इस बात के सबूत में और भी बहुत सरे वचन दिखा सकता है जिन में यहोवाह ख़ुदा के हर एक सच्चे नबी ने अपनी पेशंगोई या नबुव्वत इसी नाम से की है। यह सबसे बड़ा सबूत है कि वह मसीही भाई राह-ए-हक़ पर क़ायिम है, और वह ज़रूर परमेश्वर के पास पहुंचेगा, क्योंकि वह परमेश्वर को अपने नाम से पहिचानता है। 

अब हम यही सवाल एक मुसल्मान से पूछेंगे कि, ‘तुम जिस परमेश्वर को मानते हो, उसका नाम क्या है’? तो वह भी तुरंत उसका जवाब देगा और कहेगा कि – ‘हमारे क़ुरआन के मुताबिक़ हमारे परमेश्वर का नाम है - अल्लाह’। लेकिन, जब हम उसे पूछेंगे कि आप हमें क़ुरआन में वह जगह दिखाये जहां परमेश्वर ने ख़ुद कहा हो कि ‘मेरा नाम अल्लाह है’, तो उस मुसल्मान भाई के पास जवाब नहीं होगा; क्योंकि पूरे क़ुरआन में बाइबल की तरह परमेश्वर ने कहीं नहीं कहा है कि ‘मेरा नाम ……. फ़लान फ़लान है’। क़ुरआन में तो सिर्फ़ इतना ही लिखा हुवा है कि – 

क़ुल हुव अल्लाहु अहदुन’ (सूरह 112:1);

जिसका अर्थ है – ‘वह अल्लाह यकता है’। 

लेकिन यहां भी क़ुरआन का परमेश्वर यह नहीं कहा है कि ‘मेरा नाम अल्लाह है’। क़ुरआन मे ऐसे और भी वचन हैं जिन में ‘अल्लाह’ लफ़्ज़ प्रयोग किया गया है, लेकिन कहीं भी यह नहीं लिखा गया है कि, ‘मेरा नाम अल्लाह है’।

अब, मुसल्मानों को हमारा सवाल यह है कि 'आप किस किताब के मुताबिक़ परमेश्वर को 'अल्लाह' कहकर पुकार रहे हैं'? क़ुरआन के मुताबिक़? नहीं नहीं, बिल्कुल नहीं; क्योंकि क़ुरआन ऐसा बिल्कुल नहीं सिखाता है। तो बाइबल के मुताबिक़? नहीं नहीं, बिल्कुल नहीं; क्योंकि बाइबल भी ऐसा बिल्कुल नहीं सिखाती है।

तो मेरे अज़ीज़ मुसल्मान भाई आपको यह जानना चाहिये कि जब कभी आप ‘या अल्लाह!’ कहकर पुकारेंगे, तो खुदा हंसेगा, और पूछेगा कि ‘मैं ने कब और कहां कहा, कि मेरा नाम अल्लाह है’?

इस तरह मुसल्मानों के लिए यह सवाल हमेशा तक अनुत्तरित रह जाएगा। 

जागो मुसल्मान जागो क्योंकि कियामत के दिन खुदावन्द यहोवाह आप से यही सवाल पूछेंगे कि, ‘मैं ने कब और कहां कहा, कि मेरा नाम अल्लाह है’?

खुदा आप को सच्चाई को समझने की अनुग्रह दे। 

आमीन।


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